ग्रामिण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान में बकरी पालन प्रशिक्षण संपन्न।



राहुल गुप्ता की रिपोर्ट/ बलरामपुर:-छत्तीसगढ़ | ग्रामिण रोजगार प्रशिक्षण संस्थान, बलरामपुर द्वारा 27 फरवरी 2025 से 8 मार्च 2025 तक बकरी पालन पर विशेष प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस प्रशिक्षण में कुल 35 ग्रामीणों ने भाग लिया, जिनमें से 23 प्रतिभागी परीक्षा में शामिल हुए और 20 लोगों ने सफलतापूर्वक परीक्षा दी!

इस प्रशिक्षण कार्यक्रम के निदेशक श्री खातिर होरो थे, जबकि तसनीम निखत ने फैकल्टी के रूप में योगदान दिया। इसके अलावा, के.एम. सिंह (एल.डी.एम.), अनीता साहू (ट्रेनर) और अमन सुरिन (शाखा प्रबंधक) भी इस कार्यक्रम से जुड़े रहे।

बकरी पालन के लाभ और बैंक लोन की जानकारी

प्रशिक्षण के दौरान शाखा प्रबंधक अमन सोरेन ने सेंट्रल बैंक से मिलने वाले ऋण की प्रक्रिया के बारे में विस्तृत जानकारी दी, ताकि इच्छुक ग्रामीण बकरी पालन व्यवसाय को सुगमता से शुरू कर सकें। उन्होंने बताया कि सरकार और बैंक द्वारा बकरी पालन के लिए विभिन्न ऋण योजनाएँ और अनुदान उपलब्ध हैं, जिससे शुरुआती पूंजी जुटाना आसान हो जाता है।
इसके अलावा, एल.डी.एम. श्री के.एम. सिंह
और खातिर होरो सर ने बकरी पालन के विभिन्न आर्थिक और व्यावसायिक लाभ बताए, जिनमें प्रमुख रूप से ये शामिल हैं:
1. कम निवेश, अधिक मुनाफा – बकरी पालन में अन्य पशुपालन की तुलना में कम खर्च आता है, लेकिन मुनाफा अच्छा होता है।
2. तेजी से बढ़ने वाला व्यवसाय – बकरियाँ जल्दी प्रजनन करती हैं, जिससे व्यवसाय तेजी से बढ़ सकता है।
3. दूध और मांस से आय – बकरी का दूध औषधीय गुणों से भरपूर होता है, और मांस की बाजार में अधिक मांग होती है।
4. खाद के रूप में उपयोग – बकरी के मल-मूत्र को जैविक खाद के रूप में उपयोग किया जा सकता है।
5. जलवायु सहिष्णुता – बकरियाँ किसी भी जलवायु में आसानी से ढल जाती हैं और अधिक देखभाल की जरूरत नहीं होती।
6. कम जगह में पालन संभव – अन्य पशुओं की तुलना में बकरियों को पालने के लिए कम जगह की आवश्यकता होती है।
7. स्वरोजगार के बेहतरीन अवसर – ग्रामीण क्षेत्रों के युवाओं और महिलाओं के लिए यह एक बढ़िया स्वरोजगार विकल्प है।8. कम खर्चीला चारा – बकरियाँ खेतों में प्राकृतिक रूप से उगने वाले पौधों और झाड़ियों को खाकर जीवित रह सकती हैं।
9. सरकारी सहायता और ऋण योजनाएँ – सरकार द्वारा बकरी पालन को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न सब्सिडी और ऋण योजनाएँ उपलब्ध हैं।
10. निर्यात और बाजार की संभावनाएँ – बकरी पालन से प्राप्त उत्पादों की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी मांग है, जिससे बेहतर आय अर्जित की जा सकती है।

प्रशिक्षण में मिली सुविधाएँ
सभी प्रतिभागियों को प्रशिक्षण के दौरान पौष्टिक भोजन उपलब्ध कराया गया, जिससे उनकी सेहत पर भी ध्यान दिया गया। इसके अलावा, सभी को प्रशिक्षण के लिए विशेष ड्रेस भी प्रदान की गई ताकि वे एक समान और अनुशासित माहौल में सीख सकें।
साथ ही, मनरेगा योजना के तहत सभी प्रतिभागियों को वेतन भी दिया गया, जिससे उन्हें आर्थिक रूप से भी सहायता मिली और उनके लिए यह प्रशिक्षण और अधिक उपयोगी साबित हुआ।

परीक्षा एवं समापन समारोह
आज आयोजित परीक्षा में मूल्यांकन के लिए अंबिकापुर से शिवराम सोनी और एम.डी. इरशाद कृषि विशेषज्ञ आए थे। परीक्षा सफलतापूर्वक संपन्न हुई
यह प्रशिक्षण कार्यक्रम ग्रामीणों के लिए आत्मनिर्भरता की दिशा   में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ, जिससे वे बकरी पालन के माध्यम से अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत कर सकें और स्वरोजगार प्राप्त कर सकें।

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