
रायगढ़ (छत्तीसगढ़): पुसौर तहसील के ग्राम कौवाताल और फुटकापुरी में मंगलवार को बिजली टावर लगाने की कोशिश उस वक्त विवाद का रूप ले गई, जब एक किसान की जमीन पर अधूरे मुआवजे के बावजूद काम शुरू करने की कोशिश की गई। इससे गुस्साए ग्रामीणों ने काम रोक दिया और कंपनी के लोगों को खेत में घुसने नहीं दिया। प्रशासन और बिजली कंपनी के अधिकारी मौके पर पहुंचे, लेकिन किसान अपने हक की लड़ाई से पीछे नहीं हटा।
किसान की पीड़ा: मेहनत की फसल का अधूरा मोल

किसान का कहना है कि उसकी जमीन पर बिना अनुमति के टावर लगाने का प्रयास हुआ। खेत में लगे 3775 आम के पेड़ों में से सिर्फ 562 पेड़ों का मुआवजा मिला है, बाकी 3213 पेड़ों का भुगतान अब तक नहीं हुआ। 6 अप्रैल 2023 को पेड़ों की गिनती की गई थी और 15 जून 2023 को मुआवजा स्वीकृति का पत्र भी जारी हुआ, लेकिन राशि आज तक नहीं मिली।
ग्रामीणों का विरोध: “हर पेड़ का हिसाब दो”
मंगलवार को जब प्राइवेट वर्कर टावर लगाने पहुंचे, तो ग्रामीणों का गुस्सा फूट पड़ा। बड़ी संख्या में महिलाएं और पुरुष एकजुट हो गए और विरोध प्रदर्शन शुरू हो गया। तहसीलदार और थाना प्रभारी ने समझाने की कोशिश की, लेकिन किसान डटा रहा—”पहले पूरा मुआवजा दो, तभी काम होगा।”

प्रशासन की फजीहत, टली कार्रवाई
विरोध को देखते हुए अफसरों को काम रुकवाकर लौटना पड़ा। मामला अब इलाके में चर्चा का विषय बना हुआ है। किसान और ग्रामीण साफ कह रहे हैं—हर पेड़ की कीमत चाहिए, वरना जमीन में एक ईंट भी नहीं लगने देंगे।
इंसाफ की लड़ाई, झुकेगा नहीं किसान
यह सिर्फ एक टावर नहीं, किसान की मेहनत, अधिकार और आत्मसम्मान की लड़ाई है। गांव वालों की एकजुटता और किसान की जिद ने प्रशासन को मुश्किल में डाल दिया है। अब फैसला प्रशासन को लेना है—मुआवजा देकर मामला सुलझाओ या टावर का सपना छोड़ दो।
