पंचायत सचिवों की हड़ताल: सरकार सख्त, सचिव अड़े।



सैफ सिद्दीकी/सूरजपुर, 22 मार्च 2025 – पंचायत सचिवों की हड़ताल के बीच सरकार ने सख्त रुख अपनाते हुए 24 घंटे के भीतर सभी कर्मचारियों को काम पर लौटने का निर्देश दिया है। सरकार ने स्पष्ट किया कि समयसीमा में ड्यूटी जॉइन नहीं करने पर अनुशासनात्मक कार्रवाई की जाएगी। इस आदेश के खिलाफ सचिवों ने कड़ा विरोध जताते हुए सरकारी निर्देशों की प्रतियां जलाकर प्रदर्शन किया। उन्होंने दो टूक कहा कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे।

क्या है पूरा मामला?

गौरतलब है कि 17 मार्च से पंचायत सचिव अनिश्चितकालीन हड़ताल पर हैं, जिससे पंचायतों में विकास कार्य और शासकीय योजनाओं का क्रियान्वयन प्रभावित हो रहा है। आवश्यक सेवाओं की बाधा से ग्रामीणों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है।

सरकार का रुख

सरकार ने सचिवों की हड़ताल को अनुशासनहीनता करार देते हुए इसे जनता के अधिकारों का उल्लंघन बताया है। प्रशासन का कहना है कि यदि सचिव समय पर ड्यूटी पर नहीं लौटते, तो उनके वेतन रोके जा सकते हैं और अन्य सख्त कदम उठाए जाएंगे।

सचिव संघ का जवाब

सचिव संघ के नेताओं ने सरकार के इस कदम की निंदा करते हुए चेतावनी दी है कि जबरदस्ती करने पर आंदोलन और तेज होगा। संघ के अध्यक्ष इंद्रपाल तिवारी ने कहा, “हम अपनी जायज़ मांगों को लेकर हड़ताल कर रहे हैं। सरकार को धमकाने के बजाय हमारी बात सुननी चाहिए। यदि दबाव बनाया गया, तो आंदोलन और व्यापक होगा।”

तनावपूर्ण स्थिति, दोनों पक्ष आमने-सामने

सरकार और सचिवों के बीच टकराव जारी है, जिससे आम जनता को कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। अब सवाल यह है कि इस विवाद का हल कैसे निकलेगा।

सोशल मीडिया पर नेताओं के पुराने वादों की चर्चा

हड़ताल के बीच सचिवों ने सोशल मीडिया पर कुछ पुराने वीडियो वायरल किए हैं, जिनमें भाजपा नेताओं—उप मुख्यमंत्री विजय शर्मा, वित्त मंत्री ओपी चौधरी, और सांसद विजय बघेल—द्वारा पंचायत सचिवों की मांगों को मोदी की गारंटी बताने की बातें कही गई थीं। सचिव अब इन वादों को याद दिलाकर सरकार से जवाब मांग रहे हैं।

सचिवों का विरोध प्रदर्शन जारी

सूरजपुर जिला मुख्यालय समेत भैयाथान, ओड़गी, प्रतापपुर, प्रेमनगर और रामानुजनगर में पंचायत सचिवों ने सरकार के आदेश की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। हड़ताल पर अडिग सचिवों ने साफ कर दिया कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, वे काम पर नहीं लौटेंगे।

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